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कच्चा तेल लुढ़का: लॉकडाउन के बाद क्या पेट्रोल-डीजल के दाम में होगी भारी कटौती?

लॉकडाउन के बीच तो उम्मीद कम है, लेकिन क्या इसके बाद पेट्रोलियम कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम में भारी कटौती करने को तैयार होंगी, यह देखने वाली बात होगी. अमेरिकी कच्चे तेल की कीमत घटने का भारत पर खास असर नहीं पड़ता है, लेकिन इसके असर से हर तरह का कच्चा तेल टूट रहा है. भारत के लिए महत्वपूर्ण है इंडियन बास्केट का रेट जो ब्रेंट क्रूड और खाड़ी देशों के कच्चे तेल पर निर्भर होता है.

पेट्रोल-डीजल की कीमत में कटौती की उम्मीद पेट्रोल-डीजल की कीमत में कटौती की उम्मीद
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 5:16 PM IST

  • अमेरिकी वायदा बाजार में सोमवार को कच्चा तेल धराशायी हुआ
  • भारत के लिए महत्वपूर्ण इंडियन बास्केट क्रूड भी काफी नीचे है
  • कच्चे तेल में गिरावट से बढ़ी पेट्रोल-डीजल में कटौती की उम्मीद

कच्चे तेल के दाम में ऐतिहासिक गिरावट के बाद अब चर्चा का विषय यह बन गया है कि क्या भारत में इसका कोई फायदा मिलेगा? लॉकडाउन के बीच तो उम्मीद कम है, लेकिन क्या इसके बाद पेट्रोलियम कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम में भारी कटौती करने को तैयार होंगी, यह देखने वाली बात होगी.

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कितनी घटनी चाहिए कीमत

सबसे पहले यह जान लें कि भारत में जो कच्चा तेल आता है उसकी लागत कितनी पड़ रही है और उसमें कितनी गिरावट आई है. असल में अमेरिकी कच्चे तेल की कीमत घटने का भारत पर खास असर नहीं पड़ता है, लेकिन इसके असर से हर तरह का कच्चा तेल टूट रहा है. भारत के लिए महत्वपूर्ण है इंडियन बास्केट का रेट जो ब्रेंट क्रूड और खाड़ी देशों के कच्चे तेल पर निर्भर होता है.

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इंडियन बास्केट के क्रूड का रेट मार्च में 32 डॉलर के आसपास था और अभी करीब 20 डॉलर प्रति बैरल चल रहा है. ऐसा माना जाता है कि एक डॉलर प्रति बैरल कीमत में गिरावट से पेट्रोल-डीजल के भाव में 50 पैसे लीटर की कटौती की जा सकती है. यानी एक महीने में अगर इंडियन बास्केट के क्रूड में प्रति बैरल 12 डॉलर की गिरावट आई है तो इस लिहाज से पेट्रोल-डीजल की कीमत में 6 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती होनी चाहिए. लेकिन तेल का खेल इतना आसान नहीं है. इसको समझने के बाद ही कोई उम्मीद करना मुनासिब है.

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कैसे तय होती है कीमत

अब यह जानते हैं कि भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत कैसे तय होती है. भारत में पेट्रोल और डीजल पर 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा केंद्र और राज्यों के टैक्स का होता है. आज जो पेट्रोल-डीजल हम खरीद रहे हैं, उसके लिए कच्चे तेल की करीब 23-25 दिन पहले की कीमत मायने रखती है, जो खाड़ी देशों से यहां तक पहुंचने का समय होता है.

लॉकडाउन में कीमतों में कोई बदलाव नहीं हो रहा. पिछले 36 दिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है. दिल्ली में पेट्रोल 69.59 रुपये और डीजल 62.29 रुपये प्रति लीटर है. हालांकि मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता में इसमें 1 से 1.5 रुपये की बढ़त हुई है क्योंकि वहां की सरकारों ने वैट बढ़ा दिए हैं.

वैसे तो पेट्रोलियम कंपनियां इस मामले में स्वतंत्र हैं कि वे हर रोज अपनी कीमत में संशोधन कर सकें. लेकिन यह काफी हद तक सरकार पर भी निर्भर है, जो टैक्स घटा या बढ़ा सकती हैं. गौरतलब है कि भारत में करीब 80 फीसदी तेल आयात होता है.

यहां हम उदाहरण से समझते हैं कि अप्रैल 2020 के लिए भारत में कच्चे तेल की कीमत क्या पड़ रही है और इसके आधार पर अगले एक महीने में पेट्रोल-डीजल की कीमत क्या होनी चाहिए.

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- जनवरी में भारतीय क्रूड बास्केट का कच्चा तेल 64.31 डॉलर प्रति बैरल तथा मार्च में 33.36 डॉलर प्रति बैरल था. अप्रैल के लिए हम इसकी औसत कीमत 20 डॉलर प्रति बैरल मान लेते हैं.

- अप्रैल में रुपया 76 को पार कर गया है और टूटता जा रहा है तो हम इसका औसत एक्सचेंज रेट 77 मान लेते हैं. इसके हिसाब से कच्चा तेल हुआ 1540 रुपये प्रति बैरल.

- एक बैरल में 159 लीटर तेल होता है, तो एक लीटर कच्चे तेल की कीमत हुई महज 9.68 रुपया प्रति लीटर.

- इसी कच्चे तेल से डीजल और पेट्रोल निकाला जाता है तो एक लीटर डीजल या पेट्रोल की शुरुआती लागत करीब 10 रुपये लीटर हम मान लेते हैं. अब यहीं से पेट्रोल और डीजल में भेदभाव होता है.

- इसमें एंट्री टैक्स, रिफाइनरी प्रो​सेसिंग, रिफाइनरी मार्जिन, ओएमसी मार्जिन, फ्रेट कॉस्ट, लॉजिस्टिक्स आदि का खर्च जोड़ा जाता है. पेट्रोल के लिए यह करीब 12 रुपये लीटर और डीजल के लिए करीब 16 रुपये प्रति लीटर होता है.

- तो एक लीटर पेट्रोल की बेसिक लागत हुई 22 रुपये और डीजल की अब लागत हुई 26 रुपये प्रति लीटर.

- इसके बाद पेट्रोल पर करीब 23 रुपये का केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Excise Duty) और डीजल पर प्रति लीटर 18.83 रुपये का उत्पाद शुल्क लगता है. इस तरह अब पेट्रोल की कीमत हुई 45 रुपये प्रति लीटर और डीजल की लागत भी हो गई करीब 45 रुपये लीटर.

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- अब पेट्रोल पर पेट्रोल पंप डीलर्स का कमीशन 3.55 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 2.49 रुपये प्रति लीटर होता है. तो इस प्रकार अब पेट्रोल की लागत हुई 48.55 रुपये प्रति लीटर और डीजल की हुई 47.50 रुपये प्रति लीटर.

- अब इस पर जोड़ते हैं राज्यों का वैट या सेल्स टैक्स. इस पर राज्य सरकारें 6 से लेकर 35 फीसदी तक वैट या सेल्स टैक्स लगाती हैं. हम इसका औसत और सरचार्ज जोड़ते हैं तो यह पेट्रोल पर करीब 14.86 रुपये लीटर और डीजल पर करीब 9.18 रुपये प्रति लीटर होता है.

- तो अब डीजल और पेट्रोल की अंतिम कीमत इस प्रकार होनी चाहिए, पेट्रोल—63.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल— 56.68 रुपये प्रति लीटर.

- यानी इसमें मौजूदा कीमतों से करीब 6 रुपये प्रति लीटर की कटौती होनी चाहिए.

- इस प्रकार यह भी गौर करने की बात है कि 22 रुपये बेसिक कीमत वाले पेट्रोल पर हम करीब 41 रुपये का टैक्स चुकाएंगे.

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खेल कुछ और भी है

कहने को तो पेट्रो​लियम कंपनियां कीमत के मामले में स्वतंत्र हैं और हर दिन समीक्षा करती हैं. लेकिन पिछले 36 दिनों से कीमत में कोई बदलाव नहीं आया है. जनवरी से मार्च में तो कच्चे तेल की कीमत करीब आधी हो गई, लेकिन दाम घटाने की जगह सरकार ने सरकार ने गत 14 मार्च को पेट्रोल-डीजल पर 3 रुपये प्रति लीटर का एक्साइज बढ़ा दिया.

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पेट्रोल-डीजल की बेसिक कीमत घटती जा रही है, लेकिन सरकार टैक्स बढ़ाती जा रही है. जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल बेहद सस्ता है तो तेल कंपनियां अपने पुराने नुकसान की भरपाई कर सकती हैं, उधर सरकार के लिए भी पेट्रोलियम अर्थव्यवस्था के संकट के दौर में राजस्व बढ़ाने का अच्छा जरिया है.

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एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा कहते हैं, 'पेट्रोल-डीजल की कीमत तय करने के मामले में कई फैक्टर्स का ध्यान रखा जाता है. कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल के अंतरराष्ट्रीय कीमत को देखती हैं. अपने ब​हीखाते को देखती हैं. इसके बाद कीमत में कमी-बेसी का निर्णय लेती हैं. इसी प्रकार सरकार भी राजस्व के हालात को देखते हुए टैक्स में बदलाव का कोई निर्णय लेती है. कठिन दौर में तो यह सरकार के लिए राजस्व बढ़ाने का एक स्रोत होते हैं.'

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